Raag - Kafi || राग काफी |
* Definition - राग काफ़ी परिचय *
इस राग की उत्पत्ति अपने ही नाम वाले थाट काफ़ी से हुई हैं इस राग में ग_ , नी_ स्वर कोमल प्रयोग किए जातें है तथा शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं इस राग का बादि स्वर प , और सम्बादी स्वर सा हैं इसकी जाती सम्पूर्ण-सम्पूर्ण है यानी सातो स्वरों का प्रयोग किया जाता हैं इसका गायन समय रात्री का दूसरा प्रहर हैं |राग काफी में वर्जित स्वर कोई भी नहीं ।।
आरोह - सा , रे , ग_ ,म ,प ,ध , नी_ , सां
अवरोह - सां, नी_ धा, प, ल , म , ग_ , रे , सा
पकड़ स्वर - सासा , रेरे ,ग_ग_ , मम , प
.......... स्थाई स्वरलिपि..........
9 10 11 12 | 13 14 15 16 | 1 2 3 4 | 5 6 7 8
सा ऩी
छा डो
सा रे -- रे | मग_ रेग_ म म | प प प म |प ध नी_सां |
छा डो -- छै|ला -- मो री | बई -- या दू | ख त मो री |
नी_ धप म प| ग़ -- रे -- | रे नी_ ध प | प ध म प |
न र म क | ला -- ई --| कै से तु म | कै से तु म |
ग म प ग_ |ग_ रे सा ऩी | सा ग_ रे म| ग_ रे सा ऩी |
नी ड़ र ला | - ल मा गा | रो क त पा| रा ई छा डो |
0 ३ × २
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स्थाई ताने ---
1 - सारे , ग_म , पध , नी_सां | नी_ध ,पम , ग_रे , सा -
2 - सारे , रेग_ , ग_म , मप | पम , ग_म , ग_ रे , सा -
3 - रे ग_ , मप , गम , पध | पम , ग_रे , सासा , रेसा
4 - ग_म ,पध , नी_सां , रेंसां | नी_ध , पम ,ग_रे , सा -
5 - पध , नी_सां , ध नि_ सांरें | सांनि_ , धप , मग_ रेसा
........अन्तरा स्वरलिपि ..........
× २ 0 ३
म म म प |नी_ नी_ सां सां| रें गं_ रें सां|रें नी_ सां सां |
कै से तु म | म हा रा ज | आ व त ना| तो को ला ज |
प रें सां रें | नी_ नी_ सां सां| प ध प नी_|ध प ग_ रे |
जा नू ना क| स क रा ज | प क ड़ म | गा वे वा की|
सा ग_ रे म | ग_ रे सा ऩी |
फी र त दु | हा ई छा डो |
अन्तरा ताने -
1 - सां नी , ध प, ग_म ,प म | म प , ग म , प ध , नी_सां
2 - सा सा , रे ग_ , म प ,ध नी_ ,| ग म , प म ,प ध,नी_ सां
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