त्रिभुवन बिदित अवध जेकर नऊआ
बड़ा नीक लागे राघव जी के गऊआ .. ।।
जहा ब्रम्ह राम शिशु गलियन में खेलें
अंजूरिन भरी भरी धुरी सिर मेंले
जहाँ ना कबहु चले ..... हाय
जहाँ ना कबहु चले कली दाप दऊआ
बड़ा नीक लागे राघव जी गऊआ ....
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दशरथ पिता जहा कौशल्या जी मईया
भरत लखन रिपुहन भले भईया
राम राम रटे जहा कोयल और कौआ
बड़ा नीक लागे राघव जी के गऊआ .. ।।
सीता महारानी जहा राम चन्द्र राजा
हनुमान परिकर वैष्णव समाजा
रामभद्रचार्य के ....... हाय
रामभद्रचार्य के उहे ठीक ठऊआ
बड़ा नीक लागे राघव जी के गऊआ .. ।।
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