तो क्यू ना चले हम उन्ही को पुकारे
यही मंत्र जपते हैं ऋषि सन्त सारे
यही मंत्र जपते हैं ऋषि सन्त सारे
हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे ....
नदी में हुईं ग्राह गज की लड़ाई
पुकारा था गज ने कन्हाई कन्हाई
तो ब्रज राज आ करके गज को उबारे
तो ब्रज राज आ करके गज को उबारे
गई आह जब रुकमिडी के दुआरे
हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।
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हैं प्रहलाद की जानते सब कहानी
उन्हें होलिका जब जलाने को ठानी
जली होलिका जब मुरारी पधारे
जली होलिका जब मुरारी पधारे
प्रहलाद जपते थे अग्नि किनारे
हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।
सुदामा थे निर्धन प्रभू के पुजारी
दसा देख कर रो दिए थे मुरारी
सब कुछ मिला उनको प्रभू के दुआरे
और यहीं मंत्र जप कर वो जीवन गुजारे
हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।
कहा आज तक तू भटकता था राही
विनय तुम भी बन जाओ प्रभु का सिपाही
उबारेंगे राजन तो जो सबको उबारे
यहीं मंत्र जपना हैं रह कर सहारे
हरे कृष्ण गोविन्द मोहन मुरारे .. ।।
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1 Comments
Hare krishna Govind...
ReplyDeleteMohan murare🙏🏼🙏🏼🙏🏼