गणेश जी की कथा Story of Ganesh Ji - LBMUSICENTERTAINMENT.COM

श्री गणेश की कथा पूजा 


 #गणेशजी_की_कथा

बुधवार को गणेश जी की कथा को सुनना अत्यंत ही शुभ होता है। 

 एक बार गणेश जी महाराज एक सेठ जी के  खेत में से जा रहे थे तो उन्होंने बारह दाने अनाज के तोड़ लिए। फिर गणेश  जी के मन में पछतावा हुआ कि मैंने तो सेठ जी के यहां चोरी कर ली ।  तो गणेश  जी सेठ जी के बारह साल की नौकरी करने लग गए। एक दिन सेठानी  राख से हाथ  धोने लगी तो  गणेश जी ने  सेठानी का हाथ  पकड़ कर मिट्टी से हाथ  धुला  दिया। 

सेठानी सेठ जी से बोली कि  ऐसा क्या नौकर रखा है नौकर होकर उसने मेरा  हाथ  पकड़ लिया। सेठ जी  ने गणेश को बुलाकर पूछा कि तुमने  सेठानी का हाथ  क्यों पकड़ा। गणेश जी ने बोला कि मैंने तो एक सीख की बात बताई है। राख  से हाथ धोने से घर की लक्ष्मी  नाराज होकर घर से चली जाती है और  मिट्टी से  हाथ धोने से आती है। सेठ जी ने सोचा कि गणेश  है तो  सच्चा । थोड़े दिनों  बाद कुंभ का मेला आया। सेठ जी ने कहा गणेश सेठानी को कुंभ के मेले में  स्नान कराके ले आओ ।


सेठानी  किनारे पर बैठकर नहा रही थी तो गणेश जी उनका हाथ पकड़कर आगे डुबकी  लगवा  लाये। घर आकर सेठानी ने सेठ से कहा कि  गणेश ने तो मेरी इज्जत ही नहीं रखी  और इतने सारे आदमियों के बीच में मुझे घसीट कर आगे पानी में ले गए। 

तब सेठ  जी ने गणेश जी को पूछा कि ऐसा क्यों किया तो गणेश जी ने कहा कि  सेठानी  किनारे बैठकर गंदे पानी से नहा रही थी । तो मैं आगे अच्छे पानी में  डुबकी  लगवाकर ले आया। इससे अगले जन्म में  बहुत बड़े राजा और राजपाट मिलेगा। सेठ  जी ने सोचा कि गणेश  है तो सच्चा। एक दिन घर में पूजा पाठ हो रही थी।  हवन  हो रहा था।  सेठ जी ने गणेश  को कहा की जाओ सेठानी को बुलाकर ले आओ ।


गणेश  सेठानी को बुलाने गया तो सेठानी काली चुनरी ओढ़ कर चलने लगी तो गणेश जी ने  काली चुनरी फाड़ दी और कहा कि लाल चुनरी ओढ़ के चलो। सेठानी नाराज होकर सो  गई सेठ जी ने आकर पूछा क्या बात है तो सेठ ने बोला कि गणेश ने मेरी चुनरी  फाड़ दी। सेठ जी ने गणेश को बुलाकर बहुत डांटा और कहा तुम बहुत बदमाशी करते  हो । तो गणेश जी ने कहा पूजा पाठ में काला वस्त्र नहीं पहनते हैं इसलिए  मैंने लाल वस्त्र के लिए  कहा ।

काला  वस्त्र पहनने से कोई भी  शुभ काम सफल नहीं होता है। फिर  सेठजी ने सोचा कि  गणेश है तो समझदार । एक दिन  सेठजी पूजा करने लगे तो पंडित जी ने बोला की  वो गणेश जी की मूर्ति लाना भूल गया। अब क्या करें ? गणेश जी ने बोला कि  मेरे को ही मूर्ति बनाकर विराजमान कर लो, आपके सारे काम सफल हो जाएंगे। यह  बात सुनकर सेठ जी को भी बहुत गुस्सा आया। वो बोले कि तुम तो अब तक  सेठानी से ही मजाक करते थे मेरे से भी करने लग गए । गणेश जी ने कहा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं। मैं सच बात कह रहा हूं। 

इतने में ही गणेश ने गणेश जी का रूप धारण कर लिया। सेठ और सेठानी ने गणेश जी की पूजा की। पूजा खत्म होते ही गणेश जी अंतर्धान हो गए। सेठ सेठानी को बहुत दुःख हुआ उन्होंने कहा कि  हमारे  पास तो गणेश जी रहते थे और हमने उनसे इतना काम कराया। 


गणेश जी ने सपने  में आकर सेठ जी को कहा कि आप के खेत में से मैंने बारह अनाज के दाने तोड़  लिए थे। उसी का दोष उतारने के लिए मैंने आपके यहां काम किया था । सेठ जी के  करोड़ों की माया हो गई । 

हे गणेश जी महाराज जैसा सेठजी को दिया वैसा सबको  देना। कहते को सुनते को और सारे परिवार को देना। 


                  जय श्री गणेश जी। 

LBMUSICENTERTAINMENT.COM


Post a Comment

0 Comments