जग में माई बिना केहुए सहाई ना होई
केहू केतनो दुलारी बाकी माई ना होई ..
सुख दुःख रतिया दिनवा सहली
मुख से कबहू कुछ ना कहली
उनकी ममता से बड़ के ......
उनकी ममता से बड़ के मलाई ना होई
केहू केतनो दुलारी बाकी माई ना होई....
अपने सुखल पालक खाके
रखली सबके धरम बचा के
उनकर रोवा जे दुखाई त....
उनकर रोवा जे दुखाई त भलाई ना होई
केहू केतनो दुलारी बाकी माई ना होई....
रुपिया पईसा लाख कमईब
सुन्दर रंग महल बनवईब
उनकी सेवा से बड़ के ....
उनकी सेवा से बड़ के कमाई ना होई
केहू केतनो दुलारी बाकी माई ना होई....
माई आख़िर माई होली
अमृत जईसन उनकर बोली
मिठ बोलिया मिसरी .....
मीठ बोलिया से मिसरी मलाई ना होई
केहू केतनों दुलारी बाकी माई ना होई ....
0 Comments