छ्छकल नदिया ये उधो जी
झुरईली रे बड़ी जोर
जहिया से गईल ये कन्हिया
सुधियो ना लिहल मोर
जहिया से गईल ये कन्हिया ....
सुन लागे वृन्दा रे बनवा -----
सुन लागे वृन्दा रे बनवा
सुन लागे पनघट मोर
रोई रोई गईया रे बछरुवा
बटिया जोहेले तोर
जहिया से गईल ये कन्हिया .....
जईब त जईब ये उधों जी
गोकुल नगरिया ओर
गऊआ नगरिया पूछीह
कहा गईले नन्द किशोर ....
जहिया से गईल ये कन्हिया .....
दिन रात नींद ना आवे
बिरह सतावे बड़ा जोर
कह दिह करके रह अईसन
काहे लीहल सनेहिया जोर
जहिया से गईल ये कन्हिया .....
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