ओ........वो....... रु रु रु रु रु
तारो को तोरे ना छेडूंगी अब से
बादल ना तोरे उधेडूंगी अब से
खोलूँगी ना तोहरी केवड़िया... आ......
फेरो ना नज़र से नज़रिया.......
इब दोपहेरी के पीछे
ना भागूंगी धम, धम
अबकी बारिश में बैरी
ना भीगूंगी छम, छम
अपनी चोटी में जुगनू
मैं कश लूंगी चम, चम
तोरी अटरिया, तोरी अटरिया
लाखूंगी ना मैं तोरी अटरिया
तोरी अटरिया, तोरी अटरिया
मांगूंगी ना तोहरी छैया... आ....
फेरो ना नज़र से नज़रिया.......
फेरो नाही रे... ऐ....
नज़रिया रे.... ऐ.....
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