एक बार भोले भण्डारी बन के बृज की नारी गोकुल में आ गए भजन लिरिक्स - Shiv Bhajan Lyrics

एक बार भोले भण्डारी बन के बृज की नारी

गोकुल में आ गए .....

पार्वती ने मना किया पर माने त्रिपुरारी

गोकुल आ गए......


वो मेरे भोले स्वामी, 

कैसे ले जाऊ तुझे रास में

वहा तो मोहन के शिवा,

कोई पुरुष ना जाए इस रास में 

अरे हास करेंगी बृज की नारी....

अरे हास करेंगी बृज की नारी

मान लो बात हमारी गोकुल में आ गए

एक बार भोले भण्डारी

बन के बृज की नारी गोकुल में आ गए....


ऐसा सजा दे मुझको, की कोई ना जाने इस राज को

सहेली है ये मेरी, तुम ऐसा बताना बृज राज को

फिर लगा के गजरा, बाध के साड़ी....

फिर लगा के गजरा, बाध के साड़ी

चाल चले मतवाली गोकुल में आ गए.....

एक बार भोले भण्डारी

बन के बृज की नारी गोकुल में आ गए....


ऐसी बजाई वंशी, सूद बूद भूले भोले नाथ रे

छिटक गई जब सर से साड़ी.....

छिटक गई जब सर से साड़ी

मुस्कुराए बनवारी गोकुल में आ गए.....

एक बार भोले भण्डारी

बन के बृज की नारी गोकुल में आ गए....

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