छोटी सी मेरी पार्वती,,
शंकर की पूजा करती थी
निर्जल रहकर निश्छल मन से
नित ध्यान प्रभु का धरती थी....
नित गंगा जमुना जाती थी
जल भर भर कर वो लाती थी
निर्जल रहकर निश्छल मन से
नित ध्यान प्रभु का धरती थी...
नित बाग बगीचा जाती थी
वो भांग धतूरा लाती थी
निर्जल रहकर निश्छल मन से
नित ध्यान प्रभु का धरती थी....
1 Comments
Bahut sundar Ji
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