जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुड़ गाएं भारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती.....
तेरे भक्तजनों पे माता,
भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो मां
करके सिंह सवारी
सौ-सौ सिंघो से भी बलशाली,
है दस भुजाओं वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती......
मां-बेटे का है इस जग में,
बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने हैं पर ना
माता सुनी कुमाता
सब पे करुणा दर्शाने वाली,
अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती......
नहीं मांगते धन और दौलत,
ना चांदी ना सोना
हम तो मांगे मां तेरे मन में
एक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली
लाज बचाने वाली
सतियों के सत को सवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती......
चरण शरण में खड़े तुम्हारी,
ले पूजा की थाली
वरद हस्त सर पर रख दो मां
संकट हरने वाली
मां भर दो भक्ति रस प्याली,
अष्ट भुजाओं वाली
भक्तो के कारज सवारती
ओ मईया हम सब उतारे तेरी आरती.....
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