राम जपते रहो काम करते रहो
वक्त जीवन का यूं ही निकल जाएगा
गर लगन सच्ची भगवान से लग जाएगी
तेरे जीवन का नक्शा बदल जाएगा
राम जपते रहो काम करते रहो.....
लाख चौरासी भरमण किया दुख सहन
पाया मुश्किल से तब ऐसा मानुष का तन
राह चलते चलो करके सीधी नजर
पैर नाजुक है नीचे फिसल जाएगा
राम जपते रहो काम करते रहो......
कॉल तूने किया मैं करूंगा वफ़ा
पर गया भूल कुछ ना कमाया नफ़ा
होके मस्ती में तू मूल धन खा गया
आखिरी में तेरा सिर कुचल जाएगा
राम जपते रहो काम करते रहो.....
खैर बीती तजो अब संभालो ज़रा
प्रेम गद गद हो आशु निकालो ज़रा
हो दया पात्र हरि का भरो निर से
भरते भरते किसी दिन छलक जाएगा
राम जपते रहो काम करते रहो.....
छोड़ कर छल कपट मोह माया जतन
लौ प्रभु से लगाला जगदंबा शरण
मोम सा है जिगर इन दया सिंधु का
असर पढ़ते ही फौरन पिघल जाएगा..
राम जपते रहो काम करते रहो.....
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