जो मेरे पास आना नहीं चाहता
मै भी उसको बुलाना नहीं चाहता
जो मेरे पास आना नहीं चाहता....
खुद ही आए हसी तो वही ठीक हैं
गुदगुदा के हसाना नहीं चाहता
जो मेरे पास आना.....
यदि ना दर्शन मिले शान्ति के धाम का
सिद्धि किस काम की ज्ञान किस काम का
चाहे शस्त्रों से हो चाहे बिन शस्त्र के
शांति ही लक्ष्य होती हैं संग्राम का
जितना चाहता हु सभी से मगर
मैं किसी की हराना नहीं चाहता
जो मेरे पास आना नहीं चाहता....
भावनाओं को परिणाम मिल जाएगा
और रिश्ते को एक नाम मिल जाएगा
मेरी चोटों को होठों से छू दो प्रिये
मेरी पीड़ा को आराम मिल जाएगा
बाद मरने के चन्दन जो मुझको मिले
स्वर्ग ऐसा मै पाना नहीं चाहता
जो मेरे पास आना नहीं चाहता....
उसके चेहरे की रौनक खतम हो गई
अब दीवानों की तादाद कम हो गई
दर्द उसने जो अपना सुनाया तो फ़िर
एक तस्वीर की आंख नम हो गई
एक तबायफ़ से सब प्यार करते हैं पर
कोई दुल्हन बनाना नहीं चाहता
जो मेरे पास आना नहीं चाहता....
0 Comments