तुम छोड़ के ना जाओ गुरुवार
कर ज़ोर विनती करते हैं
विद्यालय बिन आप के सुना है
है आप तो खुशियां दुना है....
जाने की खबर सुनके
आंखों से अश्क बहते हैं
आंखों से अश्क बहते हैं
विनती स्वीकार करो गुरुवार
रुक कर उपकार करो हम पर
विद्यालय बिन आपके....
पाते थे ज्ञान जो निष दिन
कहां अब ज्ञान पाएंगे
कहां अब ज्ञान पाएंगे
बिन राह दिखाने वाले के
मंजिल तक कैसे जाएंगे
आपके बिन लगता है हम
अब हार ही जाएंगे..
विद्यालय बिन आपके....
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